बेलम गुफाएं
बेलम गुफाओं में स्थित आरोही निक्षेप |
ऊँचे-ऊँचे पहाड़ भारत की भौगोलिक विशेषता हैं। इन्हीं पहाडों में स्थित है कईं अज्ञात गुफाएं। गुफा अनुसंधान अभियान द्वारा इनकी खोज का कार्य निरंतर चलता रहा है और कईं गुफाओं की खोज की गई है। बेलम गुफाएं भी गुफा अनुसंधान अभियान द्वारा खोजी गईं प्राकृतिक गुफाएं हैं।
स्थान और मार्ग
बेलम गुफाएं आंध्र प्रदेश के कुर्नूल जिले में बेलम गाँव में स्थित हैं। निकटतम रेलवे स्टेशन तादीपत्री यहाँ से 30 किमी दूर है जो भारत के कई प्रमुख शहर जैसे दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद आदि से भलीभाँति जुड़ा है। तादीपत्री से बेलम गुफाओं तक बस से जा सकते हैं।
विशेषताएं
बेलम गुफाएं, भारतीय उपमहाद्वीप की दुसरी सबसे बड़ी गुफाएं है। मेघालय में स्थित क्रिम लियात प्राह गुफाएं सबसे बड़ी गुफाएं हैं परंतु ये पर्यटकों के लिए खुली नहीं है। बेलम गुफाओं में 3.5 किमी तक सफलतापूर्वक अनुसंधान हो चुका है परंतु केवल 1.5 किमी तक पर्यटक सरलता से जा सकते हैं।
बेलम गुफाएं इनमें स्थित आरोही निक्षेप और निलंबी निक्षेपों के लिए जानी जाती हैं। आरोही निक्षेप गुफाओं की छत से लटकते हैं और निलंबी निक्षेप जमीन पर विभिन्न आकारों में उभरे हुए होते हैं। ये निक्षेप स्फटिकों से बने है। बेलम गुफाएं काले चूना पत्थर से बनी हैं। इनमें लंबे गलियारे, विशाल कोठरियाँ, मीठे पानी की सुरंगें और नालियाँ हैं। गुफा का सबसे गहरा बिंदु प्रवेश द्वार से करीब 120 से 150 फिट (37 से 46 मिटर) अंतर पर है जिसे पातालगंगा कहा जाता है। गुफाओं में प्रवेश के लिए मुख्य प्रवेश द्वार सहित सोलह अलग-अलग रस्ते हैं।
बेलम गुफाओं की खोज
बेलम गुफाओं की खोज 1884 में ब्रिटिश सर्वेक्षक राॅबर्ट ब्रूस फूटे द्वारा की गई परंतु इसके बाद करीब एक शताब्दी तक ये गुफाएँ दुर्लक्षित हि रही। बल्कि वे कूड़ा करकट डालने का स्थान बन गईं। 1982 से 1984 तक एच डैनियल गेबाॅयर के नेतृत्व में जर्मन स्पेलोलाॅजिस्टस् की एक टीम ने इन गुफाओं की विस्तृत खोज की। 1988 में आंध्र प्रदेश सरकार ने इन्हें संरक्षित किया। आंध्र प्रदेश पर्यटन विकास निगम ने इसे विकसित करके फरवरी 2002 में एक पर्यटक आकर्षण के रूप में घोषित किया।
बेलम गुफाओं का निर्माण
बेलम गुफाओं का निर्माण चित्रावती नदी के भूमिगत जल के निरंतर प्रवाह से हुआ था और इनमें संभवतः हजारों वर्षों का अवधी लगा होगा। वर्तमान समय में चित्रावती नदी का प्रवाह लुप्त हो चुका है।
बेलम गुफाओं में स्थित विभिन्न संरचनाएँ
सिंहद्वारम् : यह आरोही निक्षेपों से बनी हुई प्राकृतिक मेहराब है जिसका आकार शेर के सिर जैसा है।
कोटिलिंगालु कक्ष : यहाँ जमीन पर कई सारे निलंबी निक्षेप एक हि जगह है जिससे बहुत सारे शिवलिंग एक साथ होने का आभास होता है। यहाँ आरोही और निलंबी निक्षेपों के मिलने से एक विशाल स्तंभ भी निर्माण हुआ है।
पातालगंगा : यह बेलम गुफाओं की सबसे गहरी जगह है जहाँ पानी की एक पतली सी धारा बह रही जो अचानक ही पृथ्वी के गर्भ में विलीन हो जाती है। ऐसा माना जाता है कि यह धारा 2 किमी दूर बेलम गाँव में एक कुएँ मे निकलती है।
सप्तस्वरला गुहा : अर्थात सात सुरों का कक्ष या संगीत कक्ष। यहाँ निक्षेपों की जो संरचनाएँ उन पर लकड़ी की छड़ी से हल्के आघात करने से संगीत के स्वर उत्पन्न होते हैं। यह कक्ष 2006 में पर्यटकों के लिये खोला गया था।
ध्यान मंदिर : यहाँ ऐसी संरचना बनी हुई है जो तकिये के साथ बिस्तर जैसी दिखती हैं। यह कक्ष संभवतः बौद्ध भिक्खुओं द्वारा उपयोग में रहा होगा क्योंकि यहाँ बौद्ध काल के अवशेष मिले हैं जो अनंतपुर के संग्रहालय में रखें हुए है।
बरगद का पेड़ : यह छत से लटकते आरोही निक्षेपों से बनी हुई स्तंभ सदृश्य संरचना है जो निचे से देखने पर एक विशाल बरगद के पेड़ जैसी दिखती है जिसकी शाखाओं से हवाई जड़ें निकली हो।
मंडपम् : इस कक्ष में किनारों पर आरोही निक्षेपों से शानदार संरचना बनी हुई है जो यह आभास निर्माण करती है जैसे स्तंभों पर खड़ा हुआ कोई मंडप हो।
सावधानियाँ
गुफाओं में जाने के लिए गाईड्स उपलब्ध हैं। बिना गाईड के प्रवेश प्रतिबंधित है अतः गाईड अवश्य लें। गुफाएं गर्म और अंधेरी है। कई जगहों पर लाइटें लगी हुई हैं। ऑक्सीजन की कमी न हो इसलिए ब्लोअर्स भी लगे है। गुफाओं का अवलोकन करने के लिए करीब ढाई तीन घंटे लग सकते हैं और पैदल चलना है अतः अपने साथ टाॅर्च, पानी की बोतल, कोई एनर्जी ड्रिंक या एनर्जी फूड अवश्य रखें। गुफाओं के अंदर कुछ स्थानोंपर कीचड़ है अतः जूते पहनकर जाना ठीक रहेगा।
पुरस्कार
2002 में बैंगलुरू में आयोजित पर्यटन और यात्रा मेले में बेलम गुफाओं को सर्वश्रेष्ठ गंतव्य पुरस्कार प्राप्त हुआ था। बेलम गुफाओं के विकास और प्रचार में पहल के लिए 2003 में ए पी टी डी सी को भारत सरकार के पर्यटन और संस्कृति मंत्रालय द्वारा दिया जाने वाला प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कार मिला।
बेलम गुफाओं के बाहर भव्य बुद्ध मूर्ति का निर्माण करके पिकनिक स्पॉट का विकास किया गया है।
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